सियालू फसलों की पैदावार वाले राज्यों में भावों के उतार चढ़ाव से सरकार और किसान दोनों ही दुविधा में_
मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान राज्यों में अगले एक साल के अंदर विधान सभा के चुनाव होने वाले है इन तीनों राज्यों में गेहूं चना एवं सरसों की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है जबकि इन जींसों के भाव घटकर बहुत नीचे आ गये है इससे केन्द्र सरकार की दुविधा थोड़ी बढ़ गई है यदि इन जिंसों के भाव ऊंचे रहे तो महंगाई बढ़ेगी और आम पब्लिक को कठिनाई होगी दूसरी ओर यदि भावों को घटाने का प्रयास किया गया तो किसानों की नाराजगी बढ़ सकती है सरकार को ऐसी रणनीति बनानी होगी जिससे सभी दोनों पक्षों के हितों के बीच एक बराबर संतुलन बना कर रखना होगा अगले कुछ हफ्तों के दौरान देश के उत्तरी एवं मध्यवर्ती राज्यों की थोक मंडियों में इन तीनों मैन सियालू फसलों में गेहूं चना तथा सरसों के नए मालो की सप्लाई मंडियों में तेजी से बढ़ने की उम्मीद है इनके भावों में आने वाली तेजी मंदी अगले महीनों में खाने वाले अनाजों तेल व तिलहनों की महंगाई की दिशा निर्धारित करने वाली होगी और ग्रामीण एरिया की अर्थ व्यवस्था को भी काफी हद तक प्रभावित करेगी भारत वर्ष में राजस्थान राज्य सरसों का सबसे मैंन पैदावार वाला राज्य है गेहूं और चना की भी पैदावार बहुत बड़ी तादाद में होती है इसी तरह मध्य प्रदेश चना की पैदावार में पहले ही अग्रणी है गेहूं में दूसरे तथा सरसों की पैदावार में तीसरे नम्बर पर रहता है छत्तीसगढ़ में भी चना एवं सरसों की अच्छी पैदावार होती है हालांकि तीनों राज्यों में सरकारें किसानों को खुश रखने का हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन अभी भी आगे की राह दोरी लग रही है यदि किसानों को सियालू फसलों के लिए आकर्षक वापसी सुनिश्चित करने का सफल प्रयास किया गया तो सत्ता पक्ष को फायदा हो सकता है छत्तीसगढ़ में इस बार धान की सरकारी खरीद बढ़कर नए रिकॉर्ड लेबल पर पहुंच गई है गेहूं एवं आटा का भाव घटाने के लिए सरकार ने ज्यादा देरी से कदम उठाया अब बाजार ऐसे समय में नरम पड़ रहा है जब गेहूं की नई फसल आने वाली है सरसों का भाव घटकर समर्थन मूल्य आसपास आ गया है जबकि चना का भाव पहले से ही समर्थन भावों से नीचे चल रहा है सरकार को इन तीनों जिंसों की भारी खरीद करने के लिए विवश होना पड़ेगा लेकिन वह समर्थन भावों पर ही इसकी खरीद करेगी

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