तरबूज की खेती की जानकारी,टॉप क्वालिटी बीज,खर्च,खाद आदि जानकारी

साथियों सब्जी वर्गीय फसलों का समय जनवरी से शुरू हो जाता है। देश के अधिकांश भागों में किसान सब्जी के साथ साथ तरबूज ओर खरबूज की खेती भी करते हैं। आज इस पोस्ट के द्वारा हम आपको तरबूज की खेती के बारे में बतायेंगे की कौनसी वैरायटी आपके लिए बेहतर है ओर किस तरह तरबूज की खेती की जा सकती है। देश में तरबूज की खेती राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उतरप्रदेश ओर कर्नाटक में सबसे ज्यादा की जाती है। तरबूज की खेती का सही जनवरी लास्ट से फरवरी मध्य तक होता है। ओर पहाड़ी इलाकों में मार्च से अप्रेल तक का समय सबसे उपयुक्त है।

तरबूज की खेती के लिए जलवायु ओर मिट्टी : अधिक तापमान वाली जलवायु के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। ज्यादा तापमान होने के कारण तरबूज की साईज में बढ़ोतरी होती है। मिट्टी की बात करें तो रेतीली दोमट मिट्टी तरबूज के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। पानी का पी.एच. मान 5.5 से 7.0 के बीच होना चाहिए। बंजर भूमि में भी आसानी से की जा सकती है ।

तरबूज की उन्नत किस्में
नॉन-यू-सीड्स सरस्वती : इस किस्म के फल 90 से 100 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इसका औसत वजन 5 से 7 किलो तक होता है।इसका रंग चटख लाल होता है। इसके अंदर बीज बहुत कम मात्रा में होता है।

एग्री मोटो आस्था : इस किस्म के फल 120 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इसका आकार अन्य तरबूज की तुलना में काफी बड़ा होता है। इसका वजन 10 से 13 किलो तक होता है।

शुगर बेबी : इस किस्म के फल 100 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इसका औसत वजन 3 से 5 किलो तक होता है। इसके अंदर बीज की मात्रा बहुत कम होती है।

नाथ सीड्स रुस्तम : इस किस्म के फल 90 से 95 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इसका औसत वजन 5 से 7 किलो तक होता है। छिलके की मोटाई कम होती है जिस वजह से इसे काफी पसंद किया जाता है।

रुस्तम

ग्रीन फील्ड, नोबल वैरायटी
ग्रीन फील्ड सीड्स सुगर-74 : यह किस्म बहुत शानदार है। इस किस्म की तुड़ाई 70 से 80 में शुरू हो जाती है। इसका औसत वजन 4 से 6 किलो तक होता है। खाने में बहुत शानदार स्वाद होता है।

नोबल सीड्स स्वीट बॉक्स : यह किस्म 90 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसका औसत वजन 6 से 8 किलो होता है। छिलका पतला होने के कारण इसके अंदर गुदा ज्यादा होता है।

श्रीराम कान्हा : यह किस्म 90 से 100 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसका औसत वजन 3 से 4 किलो तक होता है।

पूसा बेदाना : इस किस्म की खासियत यह है कि इसके फल में बीज नहीं होते हैं। अंदर का रंग गुलाबी होता है। खाने में लाजवाब स्वाद होता है।

आशायी यामतो : यह जापान की किस्म है। इस किस्म के फल का औसत वजन 7 से 9 किलो तक होता है। इसका छिलका धारीदार होता है। इसके बीज काफी महीन होते हैं। इसकी प्रति हेक्टेयर ओजज 220 क्विंटल तक होती है।

खेती के लिए तैयारी
खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए। इसके बाद हैरो से 2 या 3 जुताई करें। गोबर की खाद, पोटाश ओर SSP को अच्छे से मिलाकर रोटोवेटर से आखिरी जुताई करें।

तरबूज की बुआई कैसे करें
खेत को तैयार करवाने के बाद बैड बनवाएं। बैड से बैड की दूरी 3 फीट रखें जिससे पौधा आसानी से फैले। बैड बनाने के बाद सबसे फहले उस ड्रिप लाईन बिछाएं उसके बाद मल्चिंग (प्लास्टिक पेपर) लगाएं।

खाद और उर्वरक
गोबर की खाद 15 से 20 ट्रॉली खेत में अच्छी तरह से मिला देनी चाहिए। 89 किलो नाइट्रोजन, पोटाश 60 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालें।

सिंचाई प्रबन्धन
तरबूज की खेती में बूआई के दिन पानी अवश्य चलाये जिससे बीज अंकुरण में दिक्कत ना हो। जब तक पौधे बड़े ना हों हर तीसरे दिन पानी दें। जब पौधे बड़े हो जाएं तो जरूरत के हिसाब से पानी दें। ज्यादा पानी देने से तरबूज में जड़ गलन की समस्या आ सकती है। इसलिए सिंचाई का बहुत अच्छे से ध्यान रखें।

तरबूज पर आने वाला खर्च
1500 से 2000 रुपये खेत की तैयारी ओर खाद प्रति बिघा
6000 रुपये बीज प्रति बिघा
पूरे सीजन का कीटनाशक 2000 से 4000 रुपये तक
तुड़ाई अगर खुद करते हैं तो प्रति बिघा 2000 रुपये प्रतिदिन बचत
किसान साथियों अगर आप तरबूज की खेती करना चाहते हैं तो बीज का विशेष ध्यान रखें। आजकल बाजार में नकली बीजों की भरमार है। खास बात ये है कि तरबूज की खेती आप बैड विधी से ही करें। जिससे आपको कम पानी और कम खर्च में ज्यादा उपज मिलेगी।

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